प्रयागराज में हर 12 वर्षों में होने वाला महाकुंभ, जिसे यूनेस्को ने 'इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज' यानी मानवता की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया है, इस बार दुनिया भर से बड़ी संख्या में साधु संतों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। इस वर्ष महाकुंभ में एक विदेशी सन्यासी ने लोगों का ध्यान खींचा है, जिनकी हाइट सात फीट के आसपास है और उनका रूप-रंग तथा पूजा-पद्धति भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है।
यह सन्यासी हैं आत्मा प्रेम गिरि जी, जो अपनी अनोखी उपस्थिति और शारीरिक ताकत के कारण महाकुंभ में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इनके बारे में कई शॉर्ट वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, जिनमें इनकी ऊंचाई, शारीरिक गठन, रुद्राक्ष की माला, और पूजा पद्धति को देखकर लोग इन्हें भगवान परशुराम से जोड़कर देख रहे हैं। इनके वीडियो और तस्वीरें नेपाल के गुफाओं से आते हैं, जहां यह वर्षों से साधना में लीन हैं।
आत्मा प्रेम गिरि जी का परिचय
आत्मा प्रेम गिरि जी रूस से हैं और पिछले 30 वर्षों से उन्होंने सनातन धर्म को अपनाया है। नेपाल की गुफाओं में भगवान शिव की गहरी साधना करते हुए, उन्होंने न केवल अपनी आध्यात्मिक शक्ति को विकसित किया है, बल्कि अपनी शारीरिक ताकत को भी बढ़ाया है। यह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान शिव की पूजा करते हैं और अपने शिष्यों को भी ब्रह्मचर्य के महत्व को समझाते हैं।
आत्मा प्रेम गिरि जी की हाइट लगभग सात फीट है, और उनकी शारीरिक ताकत भी उनकी हाइट के अनुरूप है। इनकी दिनचर्या में नियमित व्यायाम और योगा शामिल है, जिससे इनका शरीर और आत्मा दोनों सशक्त बने हैं। वे भगवान परशुराम की तरह अपने शरीर और आत्मिक साधना में निष्कलंक हैं।
महाकुंभ में क्यों आए आत्मा प्रेम गिरि जी?
आत्मा प्रेम गिरि जी महाकुंभ में अकेले नहीं आए हैं, बल्कि वे अपने एक दर्जन से अधिक रशियन शिष्यों के साथ यहां पहुंचे हैं। महाकुंभ, जिसे हिंदू आस्था का सबसे बड़ा मेला माना जाता है, में ये साधु संत अपने जीवन के उद्देश्य को साझा करने के लिए आए हैं। इनकी उपस्थिति से महाकुंभ में एक नया अध्याय जुड़ गया है।
हालांकि, महाकुंभ में आने से पहले आत्मा प्रेम गिरि जी ने नेपाल की गुफाओं में वर्षों तक साधना की है, और अब वे भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। उनका मानना है कि महाकुंभ में स्नान करने और पूजा करने से न केवल शांति मिलती है, बल्कि आत्मा को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आत्मा प्रेम गिरि जी के गुरु: संत पायलट बाबा
आत्मा प्रेम गिरि जी के गुरु का नाम संत पायलट बाबा है, जो भारत के एक महान संत थे। संत पायलट बाबा का जीवन अनेक चमत्कारी घटनाओं से भरा हुआ था। उनका नाम विंग कमांडर कपिल सिंह था, और वे भारतीय वायु सेवा के एक कुशल पायलट थे। हालांकि, एक चमत्कारी घटना के बाद उन्होंने वायु सेवा से सन्यास लेकर धार्मिक जीवन अपनाया।
संत पायलट बाबा ने कहा था कि उन्होंने महाकवि अश्वत्थामा से मुलाकात की थी, जो उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना रही। उनके चमत्कारी अनुभवों और शिक्षाओं ने उन्हें एक महान गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया।
निष्कर्ष
आत्मा प्रेम गिरि जी की उपस्थिति महाकुंभ में एक नई ऊर्जा लेकर आई है। उनका शरीर, साधना, और भक्तिभाव भगवान परशुराम और भगवान शिव के प्रतीक के रूप में सामने आता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि शारीरिक और मानसिक साधना के माध्यम से हम अपनी आत्मिक शक्ति को बढ़ा सकते हैं। महाकुंभ में इनकी उपस्थिति ने इस धार्मिक आयोजन को और भी विशेष बना दिया है |
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